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हनुमान चालीसा में सूर्य से पृथ्वी की दूरी बताई गयी है

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कुछ विद्वान् ये मानते हैं कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी हनुमान चालीसा में बताई गयी है | नीचे दी गयी चौपाई को वे इस बात का आधार मानते हैं |
जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
इस चौपाई का शाब्दिक अर्थ : सूर्य , जो हमसे युग x सहस्र  x योजन  की दूरी पर स्थित है , उसको आपने एक मीठा सा फल समझ के खा लिया |
इस आधार पर सूर्य की दूरी  = युग (12000 वर्ष ) x सहस्र (1000) x योजन (12.3 km)
   = 12000 x 1000 x 12.3 km
   = 147600000 km
   = 147,600,000,000 मीटर

सूर्य से पृथ्वी की दूरी को 1AU (astronomical unit) कहा जाता है , जो 149,597,870,700 मीटर  के बराबर है | ये दूरी आज के आधुनिक उपकरणों से नापी गयी है |
अब अगर हम इस से ये समझें की तुलसीदास जी ने सूर्य से पृथ्वी की दूरी का वर्णन हनुमान चालीसा में कर दिया, तो ये आस्था के हिसाब से गलत नहीं है | दोनों दूरियां लगभग एक सामान ही हैं |
कुछ व्यक्ति इस हिसाब को संशय की दृष्टी से देखते हैं | उनका ये मानना है कि इन तीनो अंकों में केवल सहस्र ही एक ऐसा अंक है जिसका मान बिना किसी संशय के 1000 बताया जा सकता है | युग और योजन का मान अलग अलग पुस्तकों में अलग अलग दिया गया है | कोई व्यक्ति युग का 12000 वर्ष का बताता है, तो कोई 1200 दिव्य वर्ष का और एक दिव्य वर्ष का पृथ्वी के 360 वर्षों के बराबर भी बताया गया है |
विकिपीडिया पर एकत्रित जानकारी के अनुसार चारों युगों की अवधि अलग अलग है , कलियुग 1200 दिव्य वर्ष , द्वापर युग 2400 दिव्य वर्ष , त्रेता युग 3600 दिव्य वर्ष और सतयुग 4800 दिव्य वर्ष के बताये गए हैं | इस प्रकार चारों युगों को मिला कर बनने वाला एक महा-युग 12000 दिव्य वर्षों के बराबर बनता है , जिसका उल्लेख हनुमान चालीसा की इस चौपाई में हुआ है | हालांकि इस चौपाई में "महा-युग" शब्द का प्रयोग न करके केवल "युग" शब्द का प्रयोग हुआ है | किन्तु एक कवि को पंक्तियों में ताल मेल बिठाने के लिए शब्दों में इतना हेर फेर तो करना ही पड़ता है |
योजन एक संस्कृत भाषा का शब्द है जिसे दूरी नापने के लिए वैदिक काल से उपयोग किया जा रहा है | अलग अलग समय और स्थान पर इसकी लम्बाई अलग अलग पाई गई है | वैसे एक योजन को 4 कोस के बराबर माना जाता है , और कोस लगभग 2 से 3.5 km का होता है | इस प्रकार योजन की लम्बाई 12 से 15 km के बराबर होती है | अर्थशास्त्र में दिए गए तथ्यों के अनुसार योजन की सर्वमान्य लम्बाई 12.3 km है |
इन तीनो अंकों की गुणा से जो अंक प्राप्त होता है वह सूर्य की लगभग औसत दूरी ही है |
अब यदि हम थोडा और गहराई में जाएँ तो ये प्रश्न मन में उठता है की क्या गोस्वामी तुलसीदास जी ने पृथ्वी से सूर्य की दूरी की गणना करी थी | इस का बड़ा सरल सा जवाब है , नहीं | तुलसीदास जी सोलहवी सदी के कवि थे , जो केवल 500 साल पुरानी बात है | उस समय से पहले ही बहुत से खगोलीय खोजें हो चुकी थी | वैसे भी भारत वैदिक काल से ही महान विद्वानों और गणितज्ञों की भूमि रही है | शून्य की खोज से लेकर ज्यामिति (Geometry) तक की खोज में इनका योगदान रहा है | इसलिए सूर्य की दूरी भी इस समय से पहले ही भारतीय विद्वानों ने खोज ली होगी , जिसका वर्णन तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में किया है |
लगभग 250 BC में Aristarchus नामक ग्रीक विद्वान ने सूर्य की दूरी खोज ली थी और सन 1653 में पश्चिमी विद्वान Christiaan Huygens ने भी यह खोज की थी | पुराने समय में अपनी खोजों को पेटेंट (Patent) कराने की कोई व्यवस्था नहीं थी , अन्यथा भारतीय विद्वानों के नाम अनगिनत और खोजों के पेटेंट होते |
हनुमान चालीसा की चौपाई से ये प्रमाणित होता है की भारत के विद्वानों को सूर्य की दूरी ज्ञात थी और शायद यह पुराने गुरुकुलों में पढाई भी जाती थी , इसीलिये गोस्वामी तुलसीदास ने इतनी सरलता से इसे पंक्तिबद्ध भी कर दिया |

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