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रेप की घटनाएं आखिर बढ़ क्यों रही हैं ?

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रेप की घटनाएं आखिर बढ़ क्यों रही हैं ? कौन जिम्मेदार है इस चीज़ का ?

कोई कहता है सरकार जिम्मेदार है ! कोई कहता है पुलिस निकम्मी हो गयी है ! कोई कहता है पश्चिमी मानसिकता का असर है ! कोई बॉलीवुड को कोसता है ! कोई लड़कियों को ही जिम्मेदार मानता है !
हर व्यक्ति का अलग निष्कर्ष होगा | यही नहीं हर किसी के पास इस चीज़ को रोकने का उपाय भी होगा | अब उपाय भी सुन लीजिये |

  • हमें एक ठोस कानून की जरुरत है |
  • नहीं ! कानून से कुछ नहीं होगा | कानून तो पहले से ही बहुत हैं | जरूरत है की हम दृढ़ता से उन्हें लागु करें |
  • क्या करेगा कानून ! और क्या मिलेगा उसे लागू करके ! इन फिल्मों पे रोक लगनी चाहिए जो अश्लीलता को बढ़ावा दे रही हैं |
  • अरे कैसी बात करते हैं आप ! फिल्में तो समाज का आइना होती हैं | उनपे रोक लगाने से कुछ नहीं होगा | फिल्मों में तो वो दिखाया जाता है , जो समाज में हो रहा है | ज़रूरत सिर्फ इतनी है की हमारा सेंसर बोर्ड ठीक से काम करे और अभिनेत्रियाँ ज्यादा अंगप्रदर्शन न करें |
  • अरे ये सब बातें तो पुरानी हो चुकी हैं ! हमें लड़कियों की पाश्चात्य परिधानों पर रोक लगानी चाहिए | ऐसे परिधान लड़कों को उकसाते है , और फिर लड़कों से गलती हो जाती है |
  • तभी बॉलीवुड की तरफ से एक बयान आता है : "हम रेप की घटनाओं की निंदा करते हैं और हम एक इवेंट कर रहे हैं और इस इवेंट से इक्कठी हुई राशी हम रेप पीड़ितों को मदद करने वाली एक एन.जी.औ को देंगे |"
  • तभी एक नेता जी का बयान : हमें नैतिक शिक्षा को भी एक विषय की तरह स्कूल में पढ़ाना चाहिए , जिससे हमारी अगली पीढ़ी का नैतिक विकास हो | इससे रेप की घटनाएं अपने आप कम हो जाएँगी |
  • इसी बीच एक अभिनेत्री का भी बयान आता है : "Vulgarity is in the eyes of beholder ! What we do is a form of Art! We expose as per the demand of character and story."
पढ़ लिए आपने उपाय | ऐसी बातें पढ़ के या सुन के लगता है की क्या होगा इस देश का ! ज्यादातर टीवी चैनल्स रेप की घटनाओं को बेचने का काम करते हैं | हर कोई अपनी रोटी सेकता है | कोई इस तरह की ख़बरों से पैसा कमाता है, तो कोई TRP |

आज आप कोई भी अखबार पढ़ लें या टेलीविज़न पर समाचार सुन लें , एक खबर बड़ी आम होगी . किसी लड़की के साथ रेप, किसी के साथ दुष्कर्म | और बात यहीं तक सीमित नहीं रहती | इस घिनौनी हरकत के बाद कहीं लड़की आत्महत्या कर लेती है, तो कहीं उसे मार दिया जाता है | पिछले 10 सालों में ये घटनाएं आबादी से ज्यादा गति से बढ़ी हैं | आखिर हमारे समाज को हो क्या गया है !

लडको में नैतिकता की कमी: हमारा समाज लड़कियों पर सौ तक की रोक लगाने को तैयार हो जाता है| उन्हें क्या पहनना है, कब जाना है, कहाँ जाना है , कहाँ पढना है , ये सब चीज़ें हम निर्धारित कर लेते हैं | पर लड़कों से कोई कुछ नहीं कहता | लड़के चाहे सिर्फ मौज मस्ती के लिए देर रात तक बाहर रहें, उन्हें कोई कुछ नहीं कहता| हम लड़कियों से तो सती-सावित्री बनने की कामना करते हैं, पर लडको से मर्यादा-पुरुषोत्तम बनने के लिए नहीं कहते | हमें लड़कों को भी घर में ये शिक्षा देनी चाहिए की स्त्रियों की इज्ज़त करें | ये बात एक बाप ही बेटे को सिखा सकता है | लेकिन वो ही बाप ये बात सिखा सकते हैं जो खुद अपनी पत्नी, माँ और बेटी की इज्ज़त करते हैं | हमारे समाज में माता-पिता को लड़कियों से ज्यादा अपने लड़कों को नैतिकता की शिक्षा देने की जरुरत है | अगर कोई रेप करना वाला ही न होगा तो रेप होगा कैसे | और यदि फिर भी कोई गलत व्यक्ति यदि रह जाता है, तो हमारे समाज में इतने सही व्यक्ति होने चाहिए की वो किसी स्त्री के साथ हो रहा दुर्व्यवहार सहन न करें | यदि लड़कों में नैतिकता आ जाये तो लड़कियों पर पाबंदियां हमारे समाज को नहीं लगनी पड़ेंगी, और साथ ही कन्या भ्रूण-हत्या के मामलों में भी कमी आएगी |

भ्रष्टाचार : भष्टाचार के ऊपर जितना भी विचार किया जाए कम है | ये हर देश में होता है, कहीं कम कहीं ज्यादा | जहाँ जितना अधिक भ्रष्टाचार है , वहाँ उतनी ही ज्यादा रेप की घटनाएँ भी बढ़ी हैं | जो इन्सान भ्रष्टाचार करता है , वो शुरुआत छोटे भ्रष्टाचार से ही करता है | फिर जब उसे लगता है की वो पकड़ा नहीं गया, तब उसका मनोबल बढ़ता है और वो और बड़ा भ्रष्टाचार करता है | ज्यादातर भ्रष्टाचारी ही लालची और अनैतिक होते है | ये अनैतिक व्यक्ति ही अपना भ्रष्टाचार से कमाया हुआ पैसा अनैतिक चीज़ों पर खर्च करते हैं | ये लोग ही देहव्यापार का कारण बनते हैं | और कई बार ये इतने अनैतिक भी हो जाते हैं की रेप जैसी घटना को भी अंजाम दे देते हैं | दो तरह के व्यक्ति ही ज्यादातर रेप के दोषी होते है, एक वो जो बेरोजगार होते हैं , और दुसरे वो जो ज्यादा भ्रष्ट और पैसे वाले होते हैं |

लालच : अनैतिक तरीकों से पैसा कमाने का लालच भी कम ज़िम्मेदार नहीं है | हमारा फिल्म उद्योग हमारी नयी पीढ़ी के मन पर बड़ा गहरा असर डालता है | और फिल्म उद्योग में काम करके मुनाफा कमाने वाले लोग दिल खोलकर अश्लीलता दिखाते हैं | अभिनेत्रियाँ भी कहती हैं कि हमने जो किया वो कला है और उन्होंने किरदार निभाने के लिए अंगप्रदर्शन किया है | बहाने कोई जो मर्ज़ी बना ले पर सच्चाई ये है की वो लोग ये सब सिर्फ पैसा कमाने और प्रसिद्धि पाने के लिए करते हैं | पैसा कमाने के और भी तरीके हो सकते हैं, पर जब तक हमारे सिनेमा जगत में स्त्री को वस्तु की तरह खुद स्त्री ही पेश करती रहेगी, तब तक ये सब यूँ ही चलता रहेगा | लालच को ख़त्म नहीं किया जा सकता , ये एक इंसानी फिदरत है | लेकिन फिर भी इसे इस हद तक नहीं बढ़ने देना चाहिए की आपकी वजह से समाज दूषित हो |

इन्टरनेट का इस्तेमाल : हम अक्सर इन्टरनेट को एक ज्ञान के भंडार की तरह देखते हैं | माँ-बाप बच्चों को लैपटॉप, कंप्यूटर या स्मार्ट फोंस ले कर देते हैं जिनमें इन्टरनेट की सुविधा भी होती है | माँ बाप कभी ये देखने की कोशिश नहीं करते की बच्चे उस इन्टरनेट का इस्तेमाल किस चीज़ के लिए कर रहे हैं | इन्टरनेट तो ज्ञान का भंडार है , जिस पे हर तरह का ज्ञान है | इन्टरनेट पर आपको वर्णमाला से ले कर कामसूत्र तक सब मिल सकता है | लेकिन हम चाहें तो कुछ सॉफ्टवेर इंस्टाल करके अपने बच्चों को इस तरह की साइट्स से दूर रख सकते हैं जिनसे उनका मन गलत चीज़ों में जाए | जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनकी अपने शरीर और सेक्स के प्रति रूचि बढती है और वे इसका जवाब इन्टरनेट पर भी ढूँढ़ते हैं | इस समय में बच्चों को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है |

बेरोज़गारी: अधिकतर रेप के आरोपी या तो बेरोजगार होते हैं या काफी कम कमाने वाले होते हैं | इस तरह के लोगों की मानसिक स्तिथि ज्यादातर सही नहीं होती | इनमें से कुछ गलत तरह के कमाई के तरीकों में भी लगे होते हैं और कुछ जुए और शराब के भी आदि होते हैं | इस तरह के लोग समाज के मध्यम और उच्च वर्ग को अपना दुश्मन मानते हैं | खाली दिमाग शैतान का घर होता है | इन लोगों के ऊपर गलत चीज़ों का असर बहुत जल्दी होता है और ये स्त्री को अपने मनोरंजन का एक साधन भर मान के चलते हैं और कई बार रेप जैसी घटनाओं में भी शामिल मिलते हैं | यदि हम आज की पीढ़ी को सही शिक्षा दें जिससे वो वो आने वाले समय में बेरोजगार न रहे , तो आने वाले समय में ये घटनाएं जरूर कम होंगी |

अक्सर हम सब सरकार से आस लगाते हैं की वो रेप की घटनाओं पे रोक लगाये | पर सरकार हर गली , हर नुक्कड़ , हर गाँव , हर चौराहे पर पुलिस तैनात नहीं कर सकती | रेप एक सामाजिक बीमारी है और इसे सारा समाज ही सही कर सकता है | यदि हम ये प्रण लें की हम लड़कों का भी नैतिक विकास करेंगे, उनकी सही शिक्षा का ध्यान रखेंगे, उन्हें लालची या भ्रष्ट नहीं बनने देंगे और उन्हें स्त्री जाती का सम्मान करना सिखायेंगे तो आने वाले कल में रेप की घटनाएं अपने आप कम होंगी |

लेकिन वर्तमानं में हो रही रेप की घटनाओं को तो पुलिस को अपने डंडे के बल पे ही रोकना होगा | आखिर लातों के भूत बातों से नहीं मानते | 

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