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Whatsapp पर फैलता झूठ (Spreading Rumors)

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आजकल हमारे देश में झूठ को एक फ्रॉड मैसेज के रूप में फैलाने में लोगों को इतनी महारत हासिल हो गई है कि लोग बिना कुछ सोचे समझे झट से मैसेज को whatsapp पर फॉरवर्ड कर देते हैं | हालांकि कुछ लोग यह इसलिए करते हैं कि वह दूसरों को जागरुक बना सके लेकिन सच्चाई यह है कि वह खुद ही जागरुक नहीं है |
आजकल हमारे देश में whatsapp पर जिस तरीके से लोग गलतियां कर रहे हैं उससे हमारी अगली पीढ़ी के पास गलत जानकारियों का एक भंडार इकट्ठा हो जाएगा |

संस्कृति के नाम पर झूठ 

हमें इस बात की जरूरत है की whatsapp पर कोई भी मैसेज फॉरवर्ड करने से पहले हम एक बार इस चीज़ की जांच करें कि उस मैसेज में दी गई जानकारी सही भी है या नहीं| हमें अपनी संस्कृति पर गर्व है लेकिन कुछ लोग हमारे गर्व का सही फायदा ना उठा कर गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं| वह कुछ ऐसे मैसेज बनाते हैं जिसमें हमारी संस्कृति के बारे में कुछ अच्छा लिखा होता है लेकिन सच्चाई यह होती है कि वह बात एकदम सही नहीं होती| हम बिना तथ्यों को जाने उस मैसेज को इसलिए फॉरवर्ड कर देते हैं क्योंकि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व है| संस्कृति पर गर्व होने का मतलब यह नहीं है कि सारी सही बातें हमारी संस्कृति में ही बताई गई है|

भावनाओं को ठेस 

कई बार हम कोई ऐसी जानकारी फॉरवर्ड कर देते हैं जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है या किसी को कोई ऐसी उम्मीद बंध सकती है जो कि इस समय मुमकिन ही नहीं है| इस चीज का एक उद्दाहरण तब होता है जब लोग किसी ऐसी असाध्य बीमारी का इलाज whatsapp पर बताते हैं जिस इलाज की अभी तक कोई खोज ही नहीं हुई है | अभी हाल ही में किसी ने whatsapp पर कैंसर का इलाज बताया, इलाज यह था कि आप रोज 10-10 ग्राम हल्दी खाएं और 10-15 दिन में आप का कैंसर या ट्यूमर बिल्कुल ठीक हो जाएगा | अभी यदि इस कैंसर का इलाज इतना सरल होता तो दुनिया इस तरीके से बीमारी से जूझ ना रही होती | जब कभी भी हमारे पास कोई ऐसा मैसेज आता है कि यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उसे एक बार पढ़ें और ध्यान से समझने की कोशिश करें कि यह चीज सच है भी या नहीं | कहीं हम इस को फॉरवर्ड करके किसी को अनजाने में ही कोई गलत उम्मीद तो नहीं बंधा देंगे| किसी मरते हुए आदमी को अगर आप जिंदगी की एक किरण दिखा दें, और बाद में उसे पता चले कि यह किरण झूठी थी तो उसे कैसा महसूस होगा|

हम तो उस देश में रहते हैं जहां गांधी जैसे बड़े विचारक पैदा हुए हैं, जिन्होंने झूठ को महापाप की श्रेणी में रखा है | ऐसे देश के नागरिक यदि इस तरीके से दुनिया भर में झूठ फैलायेंगे तो हमारे देश की क्या छवि बनेगी |आजकल हर किसी के पास एक स्मार्टफोन है, facebook है, whatsapp है, जिससे हम कोई भी बात कहीं भी पहुंचा सकता है| यह सारी चीजें एक तरह की शक्ति है जिस का सदुपयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी हो सकता है| इसलिए यह जिम्मेदारी उस व्यक्ति की बनती है जो उनका इस्तेमाल कर रहा है| अगर हमें किसी चीज के बारे में सही नहीं पता है हमें पता करना चाहिए खासतौर पर तब अगर हम उस चीज को आगे फॉरवर्ड कर रहे हैं | और अगर सही चीज पता करने के लिए हमारे पास सही समय नहीं है तो हमें ऐसे मैसेज को फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए|  हम किसी तक कोई सच्चाई चाहे पहुचाएं या ना पहुंचाएं लेकिन झूठ नहीं पहुंचाना चाहिए|

अक्सर झूठ के फैलने की गति सच्चाई से कई गुणा अधिक होती है |

अंत में यही कहना सही होगा कि किसी को झूठी उम्मीद बनाने से बेहतर यह है कि कोई उम्मीद ही न बनाई जाए| उम्मीद है कि आप इस बात को समझेंगे और अपने जीवन में उतारेंगे |

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