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शांति मंत्र | शांति पाठ | चाणक्य धारावाहिक title track

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90 के दशक में प्रचलित धारावाहिक “चाणक्य” का title track हमारे वेदों में से लिए गए “शांति मन्त्र” को बनाया गया था | आज भी इसे सुनना मन को शांति देता है | सुने, पढ़ें, समझें व् शांति की अनुभूति करें | 

ओम् असतो मां सद् गमया |

 तमसो मां ज्योतिर्गमया |

 मृत्योर्मात अमृतम् गमया |

अर्थ : हे प्रभु, मुझे असत्य से सत्य  की ओर ले चलो । मुझे अन्धकार से प्रकाश  की ओर ले चलो । मुझे मृत्यु से अमरता  की ओर ले चलो ॥

मंत्र स्रोत: यह मंत्र बृहदारण्यकोपनिषद् (1.3.28) से लिया गया है । इसे पवमान मन्त्र या पवमान अभयारोह मन्त्र भी कहा जाता है।

सर्वेत्र सुखिनः सन्तु

सर्वे सन्तु निरामया

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।

अर्थ : सभी सुखी होवें,  सभी रोगमुक्त रहें,  सभी मंगलमय के  साक्षी बनें और किसी को  भी दुःख का भागी न  बनना पड़े।  इन्हीं मंगलकामनओं के  साथ आपका दिन  मंगलमय हो ।

मंत्र स्रोत: इसे "लोकक्षेम मंत्र" अर्थात सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का मंत्र कहा जाता है । इस मंत्र के सही स्रोत का निष्कर्ष हम निकाल सके, क्योंकि यह मंत्र एक से अधिक उपनिषदों व् पुस्तकों में उपयोग हुआ है ।

द्यौ शांतिः अंतरिक्ष शांतिः

पृथ्वी शांतिः आपः शांतिः

ओषधय: शांतिः वनस्पतय: शांतिः

विश्व-देव: शांति: काम: शांति:

क्रोध: शांतिः ब्रह्म: शांतिः

सर्वं शांतिः शांतिरिवा शांतिः

सा मां शांतिरऽधि |

अर्थ : स्वर्ग में शांति हो ,  अंतरिक्ष में शांति हो,  पृथ्वी पर शांति हो,  जल पर शांति हो , औषधियाँ और वनस्पतियाँ  शान्तिदायक हों। सभी देवता,  सृष्टि की सभी शक्तियाँ  शान्तिदायक हों। ब्रह्म अर्थात  महान परमेश्वर हमें शान्ति  प्रदान करने वाले हों। उनका दिया  हुआ ज्ञान, वेद शान्ति देने  वाले हों। सम्पूर्ण चराचर  जगत शान्ति पूर्ण हों अर्थात  सब जगह शान्ति ही शान्ति हो।

मंत्र स्रोत: यह शान्तिपाठ मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है ।

यतो यत: समीहसे ततो नो अभयं कुरु ।

शन्न: कुरु प्रजाभ्योsभयं न: पशुभ्य:।।

अर्थ : आप इस धरा पर जो भी रचना करते हैं, उन सभी से हमें भयरहित करिए, अर्थात किसी स्थान से हमें कोई भी भय न हो, वैसे ही सब दिशाओं में जो आपकी प्रजा और पशु हैं, उनसे भी हमें भयरहित करें ।

मंत्र स्रोत: इस मंत्र का स्रोत यजुर्वेद (३६/२२) है ।

सुशांतिर भवतु । सुशांतिर भवतु।।

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